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लेखनी प्रतियोगिता-नादान,✍ विजय पोखरणा "यस" अजमेर -28-Dec-2022

🚼🚼🚼नादान🚼🚼🚼

👶👶👶👶👶👶👶👶👶👶
मैं नादान हूं मैं नादान हूं,
नहीं यह समझ में अनजान हूं.
सच झूठ मैंने समझा नहीं,
मैं नादान हूं मैं नादान हूं,

बोलना मैं नहीं जानता,
खेलने से ही मुझे सरोकार है,
काम करने से मुझे कोई काम नहीं,
मैं नादान हूं मैं नादान हूं,

मैं पापा का राज दुलारा हूं,
मम्मी का आंखों का तारा हूं,
दादी के गोद मुझे अच्छी लगती,
दादा के कपड़ों में सु सु करता हूं
मैं नादान हूं मैं नादान हूं,

दिन में  सोता हूं रात में जगता हूं,
डायपर पहनना मेरी मजबूरी है,
भैया के साथ स्कूल जाने को मैं चलता हूं,
मैं नादान हूं मैं नादान हूं

इच्छा पूरी कर आना मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है,
चांद की इच्छा करता हूं  दीना का  लाल हूं,
भैया की मार में  लगवाता  हूं,
मम्मी की दादी से  डॉट   पिटवाता  हूं,
मैं नादान हूं मैं नादान हूं I

✍ विजय पोखरणा "यस"
अजमेर

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4 Comments

Mahendra Bhatt

29-Dec-2022 10:11 AM

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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बेहतरीन

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